बुधवार, 9 सितंबर 2009

"यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी "

सुरज की तरह रोशनी बिखेरते रहो,

तारों की तरह टिमटिमाते रहो ।

चन्द्रमा की तरह रातों उजाला करते रहो,

बादल की तरह पानी बरसाते रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।१।।


समुन्द्र की तरह लहरते रहो,

झरनों की तरह गिरते रहो ।

नदियों की तरह बहते रहो,

तालाबों की तरह स्थिर रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।2।।


फुलों की तरह खिलते रहो,

तितलियों की तरह मडराते रहो ।

चिडियों की तरह चहकते रहो,

भौरों की तरह गुनगुनाते रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।3।।

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