शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

"पलकों में छुपाया जाए"

कोई दोस्त ऐसा बनाया जाये,

जिसके आसुओं को पलकों में छुपाया जाए,

रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा,

की अगर वो रहे उदास तो हमसे भी न मुस्कुराया जाये


आपने अपनी आँखों में नूर छुपा रखा है,

होश वालो को दीवाना बना रखा है,

नाज़ कैसे न करू आपकी दोस्ती पर,

मुज जैसे नाचीज को खास बना रखा है...


फूल सुख जाते है एक वक्त के बाद,

लोग बदल जाते है एक वक़्त के बाद,

अपनी दोस्ती भी टूटेगी एक वक़्त के बाद,

लेकिन वोह वक़्त आयेगा मेरी मौत के बाद...

बुधवार, 9 सितंबर 2009

"यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी "

सुरज की तरह रोशनी बिखेरते रहो,

तारों की तरह टिमटिमाते रहो ।

चन्द्रमा की तरह रातों उजाला करते रहो,

बादल की तरह पानी बरसाते रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।१।।


समुन्द्र की तरह लहरते रहो,

झरनों की तरह गिरते रहो ।

नदियों की तरह बहते रहो,

तालाबों की तरह स्थिर रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।2।।


फुलों की तरह खिलते रहो,

तितलियों की तरह मडराते रहो ।

चिडियों की तरह चहकते रहो,

भौरों की तरह गुनगुनाते रहो ।।

यही जिन्दगी की दस्तुर है, हमारी ।।3।।

रविवार, 6 सितंबर 2009

"कहां पाते हो"

अपने को कहां पाते हो,
अधेरे या उजाले में ।
तकदीर कहाँ जाती है,
समुन्दर के किनारे में।।1।।
अपने को पता नही,
हम कहाँ जाते है ।
तकदीर कैसे बनती है,
ये हमे पता नही ।।2।।

जब हमें पता चलता है,
हम दुर निकल जाते है।
अपने तकदीर पर ,
रोते रह जाते है ।।३।।

बुधवार, 2 सितंबर 2009

"जिन्दगी की राह में हम अकेले हैं"

जिन्दगी की राह में हम अकेले हैं हमे अकेले जिन्दगी बितानी हैं,



अकेले हम आये हैं अकेले ही जाना हैं जिन्दगी की राह में हम अकेले हैं



जिन्दगी एक रगं बिरगीं दुनिया हैं रगं बिरगी दुनिया में बहुतेरे लोग,


बहुतेरे लोगो हम भी अकेले जिन्दगी की राह में हम अकेले हैं